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GHAZAL

इतनी अज़ीयतें न ले ख़ुद पर मिरे अज़ीज़

इतनी अज़ीयतें न ले ख़ुद पर मिरे अज़ीज़

है वक़्त अब भी लौट जा तू घर मिरे अज़ीज़

तू हँस रहा है दुख पे मिरे हँस मगर ये सुन

आना है ऐसा वक़्त तो सब पर मिरे अज़ीज़

तस्वीर मैंने डाल दी चूल्हे में कल तिरी

डीलीट कर दिया तिरा नम्बर मिरे अज़ीज़

मिलता नहीं किसी को सही रास्ते से मैं

तुम मुझसे मिल सकोगे भटक कर मिरे अज़ीज़

मैं तुझ पे फूल फेंक के नादिम करूँ तुझे

तू फेंक मुझ पे शौक़ से पत्थर मिरे अज़ीज़

रिश्ता नहीं वो काँच का बर्तन था ये समझ

और काँच कब जुड़ा है चटक कर मिरे अज़ीज़

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