GHAZAL•
हमारी आँख से बरसा है ये कल रात का पानी
By Varun Anand
हमारी आँख से बरसा है ये कल रात का पानी
समझ बैठे हो जिस को आप भी बरसात का पानी
सताती ही नहीं उसको कभी फिर प्यास की शिद्दत
कि जो इक बार पी लेता है उसके हाथ का पानी
चलो अच्छा हुआ आंसू भी मेरे पी गए ये लोग
चलो कुछ काम तो आया मेरे जज़बात का पानी
तुम्हारे वास्ते बस नाचने गाने का मौक़ा है
मुसीबत है हमारे वास्ते बरसात का पानी
ये सहरा है यहाँ दरिया समंदर की ही बातें हैं
यहाँ मतलब निकलता है सभी की बात का पानी