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GHAZAL

हमारी आँख से बरसा है ये कल रात का पानी

हमारी आँख से बरसा है ये कल रात का पानी

समझ बैठे हो जिस को आप भी बरसात का पानी

सताती ही नहीं उसको कभी फिर प्यास की शिद्दत

कि जो इक बार पी लेता है उसके हाथ का पानी

चलो अच्छा हुआ आंसू भी मेरे पी गए ये लोग

चलो कुछ काम तो आया मेरे जज़बात का पानी

तुम्हारे वास्ते बस नाचने गाने का मौक़ा है

मुसीबत है हमारे वास्ते बरसात का पानी

ये सहरा है यहाँ दरिया समंदर की ही बातें हैं

यहाँ मतलब निकलता है सभी की बात का पानी

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