GHAZAL•
हाँ मददगार की ज़रूरत है
By Varun Anand
हाँ मददगार की ज़रूरत है
छत हूँ दीवार की ज़रूरत है
आपकी नफ़रतें बताती हैं
आपको प्यार की ज़रूरत है
तुम तो लफ़्ज़ों से मार देते हो
तुम को हथियार की ज़रूरत है?
जीत ने अंधा कर दिया है तुझे
तुझ को इक हार की ज़रूरत है
एक बिस्तर का इश्तिहार पढ़ा
एक बीमार की ज़रूरत है
मैं भी एक बार था ज़रूरी उसे
तू भी इक बार की ज़रूरत है
इश्क़ तो एक से ही होता है
तुझ को दो चार की ज़रूरत है