Shayari Page
GHAZAL

दुनिया में और वक़्त बिताने का मन नहीं

दुनिया में और वक़्त बिताने का मन नहीं

लेकिन ख़ुदा के पास भी जाने का मन नहीं

बैठे हैं और ख़ाक हुए जा रहे हैं हम

फिर भी तिरे दयार से जाने का मन नहीं

मन कह रहा है आज हक़ीक़त करें बयाँ

लेकिन तिरे ख़िलाफ़ भी जाने का मन नहीं

मजबूर हो के उस से गले मिल रहे हैं हम

वो जिससे हम को हाथ मिलाने का मन नहीं

कर सकता हूँ मै बंद भी कश्ती का वो सुराख़

पर आज अपनी जान बचाने का मन नहीं

इक रोग है जो तुझको बताना नहीं कभी

इक ज़ख़्म है जो तुझको दिखाने का मन नहीं

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