Shayari Page
GHAZAL

धीमे धीमे कहता क्या है शोर मचा

धीमे धीमे कहता क्या है शोर मचा

ये हाकिम ऊँचा सुनता है शोर मचा

गूंगों में रह कर गूंगा हो जाएगा

तू तो शोर मचा सकता है शोर मचा

ख़ामोशी बद- शगुनी लेकर आती है

शोर बड़ा अच्छा होता है शोर मचा

बोल नहीं सकते हैं जो सब मुर्दा हैं

तू बतला दे तू ज़िंदा है शोर मचा

ज़ेहन तो बोलेगा चुप रहना बेहतर है

तू वो कर जो दिल कहता है शोर मचा

दस्तक से जब हक़ का दरवाज़ा न खुले

शोर मचाने से खुलता है शोर मचा

Comments

Loading comments…