GHAZAL•
धीमे धीमे कहता क्या है शोर मचा
By Varun Anand
धीमे धीमे कहता क्या है शोर मचा
ये हाकिम ऊँचा सुनता है शोर मचा
गूंगों में रह कर गूंगा हो जाएगा
तू तो शोर मचा सकता है शोर मचा
ख़ामोशी बद- शगुनी लेकर आती है
शोर बड़ा अच्छा होता है शोर मचा
बोल नहीं सकते हैं जो सब मुर्दा हैं
तू बतला दे तू ज़िंदा है शोर मचा
ज़ेहन तो बोलेगा चुप रहना बेहतर है
तू वो कर जो दिल कहता है शोर मचा
दस्तक से जब हक़ का दरवाज़ा न खुले
शोर मचाने से खुलता है शोर मचा