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तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ

तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ

मिलना है इस तरह तो बिछड़ना क़ुबूल है

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तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ — Unknown • ShayariPage