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चल दिए घर से तो घर नहीं देखा करते

चल दिए घर से तो घर नहीं देखा करते

जाने वाले कभी मुड़ कर नहीं देखा करते

सीपियां कौन किनारे से उठा कर भागा

ऐसी बाते समंदर नहीं देखा करते

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चल दिए घर से तो घर नहीं देखा करते — Unknown • ShayariPage