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कोई हसीन बदन जिन की दस्तरस में नहीं

कोई हसीन बदन जिन की दस्तरस में नहीं

यही कहेंगे कि कुछ फ़ाएदा हवस में नहीं

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कोई हसीन बदन जिन की दस्तरस में नहीं — Umair Najmi • ShayariPage