GHAZAL•
तुझे ना आएंगी मुफ़लिस की मुश्किलात समझ
By Umair Najmi
तुझे ना आएंगी मुफ़लिस की मुश्किलात समझ
मैं छोटे लोगों के घर का बड़ा हूं बात समझ
मेरे इलावा हैं छे लोग मुनहसीर मुझ पर
मेरी हर एक मुसीबत को जर्ब सात समझ
दिल ओ दिमाग ज़रूरी हैं जिंदगी के लिए
ये हाथ पाऊं इज़ाफ़ी सहूलियत समझ
फलक से कट के ज़मीन पर गिरी पतंगें देख
तू हिज्र काटने वालों की नफ़सियात समझ
किताब-ए-इश्क़ में हर आह एक आयत है
और आंसुओं को हुरूफ-ए-मुक़त्तेआत समझ