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GHAZAL

सब इंतजार में थे कब कोई ज़बान खुले

सब इंतजार में थे कब कोई ज़बान खुले

फिर उसके होंठ खुले और सबके कान खुले

हो चाहें जितना हसीं ख्वाब याद रहता नहीं

जब आंख दर्जनों लोगों के दरमियान खुले

बहुत सा लेंगे किराया जरा सी देंगे जगह

यहां के लोगों के दिल तंग है मकान खुले

गया वह शख्स तो नजरें उठाई लोगों ने

हवा चली तो जहाजों के बाजबान खुले

ये किसने मेज़ पे छोड़ी है होंठों की तस्वीर

ये किसने रखे हैं चीनी के मर्तबान खुले

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