GHAZAL•
सब इंतजार में थे कब कोई ज़बान खुले
By Umair Najmi
सब इंतजार में थे कब कोई ज़बान खुले
फिर उसके होंठ खुले और सबके कान खुले
हो चाहें जितना हसीं ख्वाब याद रहता नहीं
जब आंख दर्जनों लोगों के दरमियान खुले
बहुत सा लेंगे किराया जरा सी देंगे जगह
यहां के लोगों के दिल तंग है मकान खुले
गया वह शख्स तो नजरें उठाई लोगों ने
हवा चली तो जहाजों के बाजबान खुले
ये किसने मेज़ पे छोड़ी है होंठों की तस्वीर
ये किसने रखे हैं चीनी के मर्तबान खुले