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GHAZAL

बस इक उसी पे तो पूरी तरह अयाॅं हूॅं मैं

बस इक उसी पे तो पूरी तरह अयाॅं हूॅं मैं

वो कह रहा है मुझे रायगाॅं तो हाँ हूॅं मैं

जिसे दिखाई दूॅं मेरी तरफ़ इशारा करे

मुझे दिखाई नहीं दे रहा कहाॅं हूॅं मैं

इधर-उधर से नमी का रिसाव रहता है

सड़क से नीचे बनाया गया मकाॅं हूॅं मैं

किसी ने पूछा कि तुम कौन हो तो भूल गया

अभी किसी ने बताया तो था फ़लाॅं हूॅं मैं

मैं ख़ुद को तुझ से मिटाऊॅंगा एहतियात के साथ

तू बस निशान लगा दे जहाॅं जहाॅं हूॅं मैं

मैं किस से पूछूॅं ये रस्ता दुरुस्त है कि ग़लत

जहाॅं से कोई गुज़रता नहीं वहाॅं हूॅं मैं

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बस इक उसी पे तो पूरी तरह अयाॅं हूॅं मैं — Umair Najmi • ShayariPage