Shayari Page
GHAZAL

बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है

बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है

बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना है

ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगे

बदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है

नज़र में रखना कहीं कोई ग़म-शनास गाहक

मुझे सुख़न बेचना है ख़र्चा निकालना है

निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदा

अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है

ये तीस बरसों से कुछ बरस पीछे चल रही है

मुझे घड़ी का ख़राब पुर्ज़ा निकालना है

ख़याल है ख़ानदान को इत्तिलाअ दे दूँ

जो कट गया उस शजर का शजरा निकालना है

मैं एक किरदार से बड़ा तंग हूँ क़लमकार

मुझे कहानी में डाल ग़ुस्सा निकालना है

Comments

Loading comments…
बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है — Umair Najmi • ShayariPage