ये किस ने बाग़ से उस शख़्स को बुला लिया है

ये किस ने बाग़ से उस शख़्स को बुला लिया है

परिंद उड़ गए पेड़ों ने मुँह बना लिया है


उसे पता था मैं छूने में वक़्त लेता हूँ

सो उस ने वस्ल का दौरानिया बढ़ा लिया है