तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे

तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे

तू किसी और ही मौसम की महक लाई थी

डर रहा था कि कहीं ज़ख़्म न भर जाएँ मेरे

और तू मुट्ठियाँ भर-भर के नमक लाई थी