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सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को

सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को

हाथों में फूल हैं मेरे पाँव में रेत है

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सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को — Tehzeeb Hafi • ShayariPage