पहले उसकी खुशबू मैंने खुद पर तारी की

पहले उसकी खुशबू मैंने खुद पर तारी की

फिर मैंने उस फूल से मिलने की तैयारी की

इतना दुख था मुझको तेरे लौट के जाने का

मैंने घर के दरवाजों से भी मुंह मारी की