Shayari Page
SHER

क्या ग़लत-फ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं

क्या ग़लत-फ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं

वो मुझे समझा तो सकता था कि ऐसा कुछ नहीं

इश्क़ से बच कर भी बंदा कुछ नहीं होता मगर

ये भी सच है इश्क़ में बंदे का बचता कुछ नहीं

Comments

Loading comments…
क्या ग़लत-फ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं — Tehzeeb Hafi • ShayariPage