SHER•
गुजर चुकी जुल्मते शब-ए-हिज्र, पर बदन में वो तीरगी है
By Tehzeeb Hafi
गुजर चुकी जुल्मते शब-ए-हिज्र, पर बदन में वो तीरगी है
मैं जल मरुंगा मगर चिरागों के लो को मध्यम नहीं करूंगा
यह अहद लेकर ही तुझ को सौंपी थी मैंने कलबौ नजर की सरहद
जो तेरे हाथों से कत्ल होगा मैं उस का मातम नहीं करूंगा