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दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर

दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर

तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ

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दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर — Tehzeeb Hafi • ShayariPage