SHER•
अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता
By Tehzeeb Hafi
अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता
जिससे इक शख़्स का पर्दा नहीं रक्खा जाता
पढ़ने जाता हूँ तो तस्मे नहीं बाँधे जाते
घर पलटता हूँ तो बस्ता नहीं रक्खा जाता
अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता
जिससे इक शख़्स का पर्दा नहीं रक्खा जाता
पढ़ने जाता हूँ तो तस्मे नहीं बाँधे जाते
घर पलटता हूँ तो बस्ता नहीं रक्खा जाता