अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता

अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता

जिससे इक शख़्स का पर्दा नहीं रक्खा जाता

पढ़ने जाता हूँ तो तस्मे नहीं बाँधे जाते

घर पलटता हूँ तो बस्ता नहीं रक्खा जाता