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अब इन जले हुए जिस्मों पे ख़ुद ही साया करो

अब इन जले हुए जिस्मों पे ख़ुद ही साया करो

तुम्हें कहा था बता कर क़रीब आया करो

मैं उसके बाद महिनों उदास रहता हूँ

मज़ाक में भी मुझे हाथ मत लगाया करो

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अब इन जले हुए जिस्मों पे ख़ुद ही साया करो — Tehzeeb Hafi • ShayariPage