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GHAZAL

ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे

ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे

या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे

पैहरेदारों से बचूंगा कब तलक

दोस्त तुम एक दिन मुझे मरवाओगे

खुद को आईने में कम देखा करो

एक दिन सूरज-मुखी बन जाओगे

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