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GHAZAL

ये इश्क़ वो है जिसने बहर-ओ-बर ख़राब कर दिया

ये इश्क़ वो है जिसने बहर-ओ-बर ख़राब कर दिया

हमें तो उसने जैसे ख़ास कर ख़राब कर दिया

मैं दिल पे हाथ रख के तुझको शहर भेज दूँ मगर

तुझे भी उन हवाओं ने अगर ख़राब कर दिया

किसी ने नाम लिख के और किसी ने पींग डाल के

मोहब्बतों की आड़ में शजर ख़राब कर दिया

तुम्हें ही देखने में महव है वो काम छोड़कर

तुम्हारी कार ने तो कारीगर ख़राब कर दिया

मैं क़ाफ़िले के साथ हूँ मगर मुझे ये खौफ़ है

अगर किसी ने मेरा हमसफ़र ख़राब कर दिया

तेरी नज़र के मैक़दे तमाम शब खुले रहे

तेरी शराब ने मेरा जिगर ख़राब कर दिया

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