ये शायरी ये मेरे सीने में दबी हुई आग
ये शायरी ये मेरे सीने में दबी हुई आग
भड़क उठेगी कभी मेरी जमा की हुई आग
मैं छू रहा हूं तेरा जिस्म ख्वाब के अंदर
बुझा रहा हूं मैं तस्वीर में लगी हुई आग
खिजां में दूर रखो माचिसो को जंगल से
दिखाई देती नहीं पेड़ में छुपी हुई आग
मैं काटता हूं अभी तक वही कटे हुए लफ्ज़
मैं तापता हूं अभी तक वही बुझी हुई आग
यही दिया तुझे पहली नजर में भाया था
खरीद लाया मैं तेरी पसंद की हुई आग
एक उम्र से जल बूझ रहा हूं इनके सबब
तेरा बचा हुआ पानी तेरी बची हुई आग