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GHAZAL

ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे

ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे

अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे

मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी

उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे

मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है

ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे

बना चुका हूँ मैं मोहब्बतों के दर्द की दवा

अगर किसी को चाहिए तो मुझसे राब्ता करे

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ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे — Tehzeeb Hafi • ShayariPage