ये किस तरह का तअ'ल्लुक़ है आपका मेरे साथ

ये किस तरह का तअ'ल्लुक़ है आपका मेरे साथ

मुझे ही छोड़ के जाने का मशवरा मेरे साथ


यही कहीं हमें रस्तों ने बद्दुआ दी थी

मगर मैं भूल गया और कौन था मेरे साथ


वो झाँकता नहीं खिड़की से दिन निकलता है

तुझे यक़ीन नहीं आ रहा तो आ मेरे साथ