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GHAZAL

तुमने तो बस दिया जलाना होता है

तुमने तो बस दिया जलाना होता है

हमने कितनी दूर से आना होता है

आँसू और दुआ में कोई फ़र्क नहीं

रो देना भी हाथ उठाना होता है

मेरे साथ परिन्दे कुछ इंसान भी हैं

मैंने अपने घर भी जाना होता है

तुम अब उन रस्तों पर हो तहज़ीब जहाँ

मुड़कर तकने पर जुर्माना होता है

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तुमने तो बस दिया जलाना होता है — Tehzeeb Hafi • ShayariPage