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GHAZAL

तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मै

तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मै

और अब नहीं करूँगा तो गलत करूँगा मै

उसे कहो के अहद-ए-तर्क-ए-रस्मो-राह लिख के दे

कलाई काट के लहू से दशतख्त करूँगा मै

मेरे लबों ने उस ज़मीं को दाग दार कर दिया

गलत नहीं भी हूँ तो उससे माजरत करूँगा मै

तुझे भी खौफ था तेरी मुखालफत करूँगा मैं

और अब अगर नही करूंगा तो गलत करुँगा मैं

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