थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया

थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया

आने वालों के लिए रस्ता छोड़ दिया


तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री

तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया


लड़कियाँ इश्क़ में कितनी पागल होती हैं

फ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया


रोज़ इक पत्ता मुझ में आ गिरता है

जब से मैंने जंगल जाना छोड़ दिया


बस कानों पर हाथ रखे थे थोड़ी देर

और फिर उस आवाज़ ने पीछा छोड़ दिए