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GHAZAL

थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया

थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया

आने वालों के लिए रस्ता छोड़ दिया

तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री

तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया

लड़कियाँ इश्क़ में कितनी पागल होती हैं

फ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया

रोज़ इक पत्ता मुझ में आ गिरता है

जब से मैंने जंगल जाना छोड़ दिया

बस कानों पर हाथ रखे थे थोड़ी देर

और फिर उस आवाज़ ने पीछा छोड़ दिए

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थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दिया — Tehzeeb Hafi • ShayariPage