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GHAZAL

सो रहेंगे के जागते रहेंगे

सो रहेंगे के जागते रहेंगे

हम तेरे ख्वाब देखते रहेंगे

तू कही और ही ढूंढता रहेंगा

हम कही और ही खिले रहेंगे

राहगीरों ने राह बदलनी है

पेड़ अपनी जगह खड़े रहेंगे

सभी मौसम है दस्तरस में तेरी

तूने चाहा तो हम हरे रहेंगे

लौटना कब है तूने पर तुझको

आदतन ही पुकारते रहेंगे

तुझको पाने में मसअला ये है

तुझको खोने के वस्वसे रहेंगे

तू इधर देख मुझसे बाते कर

यार चश्मे तो फूटते रहेंगे

एक मुद्दत हुई है तुझसे मिले

तू तो कहता था राब्ते रहेंगे

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सो रहेंगे के जागते रहेंगे — Tehzeeb Hafi • ShayariPage