Shayari Page
GHAZAL

पायल कभी पहने कभी कंगन उसे कहना

पायल कभी पहने कभी कंगन उसे कहना

ले आए मुहब्बत में नयापन उसे कहना

मयकश कभी आँखों के भरोसे नहीं रहते

शबनम कभी भरती नहीं बर्तन उसे कहना

घर-बार भुला देती है दरिया की मुहब्बत

कश्ती में गुज़ार आया हूँ जीवन उसे कहना

इक शब से ज़ियादा नहीं दुनिया की मसेरी

इक शब से ज़ियादा नहीं दुल्हन उसे कहना

रह रह के दहक उठती है ये आतिश-ए-वहशत

दीवाने है सहराओं का ईंधन उसे कहना

Comments

Loading comments…
पायल कभी पहने कभी कंगन उसे कहना — Tehzeeb Hafi • ShayariPage