महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं

महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं

हम एक सदमे से बाहर आ रहे हैं

तेरी बाहों से दिल उकता गया हैं

अब इस झूले में चक्कर आ रहे हैं

कहां सोया है चौकीदार मेरा

ये कैसे लोग अंदर आ रहे हैं

समंदर कर चुका तस्लीम हमको

खजाने ख़ुद ही ऊपर आ रहे हैं

यही एक दिन बचा था देखने को

उसे बस में बिठा कर आ रहे हैं