क्या खबर उस रौशनी में और क्या क्या रोशन हुआ

क्या खबर उस रौशनी में और क्या क्या रोशन हुआ

जब वो इन हाथों से पहली बार रोशन रोशन हुआ

वो मेरे सीने से लग कर जिसको रोइ वो कौन था

किसके बुझने पर आज मै उसकी जगह रोशन हुआ

तेरे अपने तेरी किरणो को तरसते हैं यहाँ

तू ये किन गलियों में किन लोगो में जा रोशन हुआ

अब उस ज़ालिम से इस कसरत से तौफे आ रहे हैं

की हम घर में नई अलमारियां बनवा रहे हैं

हमे मिलना तो इन आवादियों से दूर मिलना

उसे कहना गए वक्तों में हम दरिया रहे हैं

बिछड़ जाने का सोचा तो नहीं था हमने लेकिन

तुझे खुश रखने की कोसिस में दुःख पंहुचा रहे हैं