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GHAZAL

जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो

जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो

लानत हो ऐसे शख़्स पे और बेशुमार हो

अब इतनी देर भी ना लगा, ये हो ना कहीं

तू आ चुका हो और तेरा इंतज़ार हो

मै फूल हूँ तो फिर तेरे बालो में क्यों नही हूँ

तू तीर है तो मेरे कलेजे के पार हो

एक आस्तीन चढ़ाने की आदत को छोड़ कर

‘हाफ़ी’ तुम आदमी तो बहुत शानदार हो

कब तक किसी से कोई मोहब्बत से पेश आएं

उसको मेरे रवय्ये पर दुख है तो यार हो

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जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो — Tehzeeb Hafi • ShayariPage