Shayari Page
GHAZAL

जब उस की तस्वीर बनाया करता था

जब उस की तस्वीर बनाया करता था

कमरा रंगों से भर जाया करता था

पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे

मैं जंगल में पानी लाया करता था

थक जाता था बादल साया करते करते

और फिर मैं बादल पे साया करता था

बैठा रहता था साहिल पे सारा दिन

दरिया मुझ से जान छुड़ाया करता था

बिंत-ए-सहरा रूठा करती थी मुझ से

मैं सहरा से रेत चुराया करता था

Comments

Loading comments…