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GHAZAL

जब किसी एक को रिहा किया जाए

जब किसी एक को रिहा किया जाए

सब असीरों से मशवरा किया जाए

रह लिया जाए अपने होने पर

अपने मरने पे हौसला किया जाए

इश्क़ करने में क्या बुराई है

हाँ किया जाए बारहा किया जाए

मेरा इक यार सिंध के उस पार

ना-ख़ुदाओं से राब्ता किया जाए

मेरी नक़लें उतारने लगा है

आईने का बताओ क्या किया जाए

ख़ामुशी से लदा हुआ इक पेड़

इस से चल कर मुकालिमा किया जाए

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जब किसी एक को रिहा किया जाए — Tehzeeb Hafi • ShayariPage