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GHAZAL

जाने वाले से राब्ता रह जाए

जाने वाले से राब्ता रह जाए

घर की दीवार पर दिया रह जाए

इक नज़र जो भी देख ले तुझ को

वो तिरे ख़्वाब देखता रह जाए

इतनी गिर्हें लगी हैं इस दिल पर

कोई खोले तो खोलता रह जाए

कोई कमरे में आग तापता हो

कोई बारिश में भीगता रह जाए

नींद ऐसी कि रात कम पड़ जाए

ख़्वाब ऐसा कि मुँह खुला रह जाए

झील सैफ़-उल-मुलूक पर जाऊँ

और कमरे में कैमरा रह जाए

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