GHAZAL•
ग़लत निकले सब अंदाज़े हमारे
By Tehzeeb Hafi
ग़लत निकले सब अंदाज़े हमारे
कि दिन आये नही अच्छे हमारे
सफ़र से बाज़ रहने को कहा हैं
किसी ने खोल के तस्मे हमारे
हर इक मौसम बहुत अंदर तक आया
खुले रहते थे दरवाज़े हमारे
उस अब्र-ए-मेहरबाँ से क्या शिकायत
अगर बर्तन नहीं भरते हमारे