ग़लत निकले सब अंदाज़े हमारे

ग़लत निकले सब अंदाज़े हमारे

कि दिन आये नही अच्छे हमारे


सफ़र से बाज़ रहने को कहा हैं

किसी ने खोल के तस्मे हमारे


हर इक मौसम बहुत अंदर तक आया

खुले रहते थे दरवाज़े हमारे


उस अब्र-ए-मेहरबाँ से क्या शिकायत

अगर बर्तन नहीं भरते हमारे