एक और शख़्स छोड़कर चला गया तो क्या हुआ
एक और शख़्स छोड़कर चला गया तो क्या हुआ
हमारे साथ कौन सा ये पहली मर्तबा हुआ
अज़ल से इन हथेलियों में हिज्र की लकीर थी
तुम्हारा दुख तो जैसे मेरे हाथ में बड़ा हुआ
मेरे ख़िलाफ़ दुश्मनों की सफ़ में है वो और मैं
बहुत बुरा लगूँगा उस पर तीर खींचता हुआ