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GHAZAL

भुला दिया था जिसको एक शाम याद आ गया

भुला दिया था जिसको एक शाम याद आ गया

ग़ज़ाल देखकर वो ख़ुश-ख़िराम याद आ गया

ख़ुदा का शुक्र है कि साँस टूटने से पेशतर

वो शक्ल याद आ गई वो नाम याद आ गया

वो जिसकी ज़ुल्फ़ आँचलों की छाँव को तरस गई

शब-ए-विसाल उसको एहतिराम याद आ गया

मैं आज तापसी की एक फ़िल्म देखकर हटा

तो मुझको इक पुराना इंतिक़ाम याद आ गया

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भुला दिया था जिसको एक शाम याद आ गया — Tehzeeb Hafi • ShayariPage