भुला दिया था जिसको एक शाम याद आ गया
भुला दिया था जिसको एक शाम याद आ गया
ग़ज़ाल देखकर वो ख़ुश-ख़िराम याद आ गया
ख़ुदा का शुक्र है कि साँस टूटने से पेशतर
वो शक्ल याद आ गई वो नाम याद आ गया
वो जिसकी ज़ुल्फ़ आँचलों की छाँव को तरस गई
शब-ए-विसाल उसको एहतिराम याद आ गया
मैं आज तापसी की एक फ़िल्म देखकर हटा
तो मुझको इक पुराना इंतिक़ाम याद आ गया