बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है

बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है

वैसे सुनने में यही आया है रस्ता ठीक है

शाख से पत्ता गिरे, बारिश रुके, बादल छटें

मैं ही तो सब कुछ गलत करता हूँ अच्छा ठीक है

जेहन तक तस्लीम कर लेता है उसकी बर्तरी

आँख तक तस्दीक कर देती है बंदा ठीक है

एक तेरी आवाज़ सुनने के लिए ज़िंदा है हम

तू ही जब ख़ामोश हो जाए तो फिर क्या ठीक है