GHAZAL•
बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है
By Tehzeeb Hafi
बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है
वैसे सुनने में यही आया है रस्ता ठीक है
शाख से पत्ता गिरे, बारिश रुके, बादल छटें
मैं ही तो सब कुछ गलत करता हूँ अच्छा ठीक है
जेहन तक तस्लीम कर लेता है उसकी बर्तरी
आँख तक तस्दीक कर देती है बंदा ठीक है
एक तेरी आवाज़ सुनने के लिए ज़िंदा है हम
तू ही जब ख़ामोश हो जाए तो फिर क्या ठीक है