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GHAZAL

आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी

आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी

दिल में जब चोरीयाँ हुई होंगी

या कहीं आइने गिरे होंगे

या कहीं लड़कियाँ हँसी होंगी

या कहीं दिन निकल रहा होगा

या कहीं बस्तियाँ जली होंगी

या कहीं हाथ हथकड़ी में क़ैद

या कहीं चूड़ियाँ पड़ी होंगी

या कहीं ख़ामशी की तक़रीबात

या कहीं घंटियाँ बजी होंगी

लौट आयेंगे शहर से भाई

हाथ में राखियाँ बँधी होंगी

उन दिनों कोई मर गया होगा

जिन दिनों शादियाँ हुई होंगी

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