आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी
आँख की खिड़कियाँ खुली होंगी
दिल में जब चोरीयाँ हुई होंगी
या कहीं आइने गिरे होंगे
या कहीं लड़कियाँ हँसी होंगी
या कहीं दिन निकल रहा होगा
या कहीं बस्तियाँ जली होंगी
या कहीं हाथ हथकड़ी में क़ैद
या कहीं चूड़ियाँ पड़ी होंगी
या कहीं ख़ामशी की तक़रीबात
या कहीं घंटियाँ बजी होंगी
लौट आयेंगे शहर से भाई
हाथ में राखियाँ बँधी होंगी
उन दिनों कोई मर गया होगा
जिन दिनों शादियाँ हुई होंगी