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झिझकता हूँ उसे इल्ज़ाम देते

झिझकता हूँ उसे इल्ज़ाम देते

कोई उम्मीद अब भी रोकती है

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झिझकता हूँ उसे इल्ज़ाम देते — Shariq Kaifi • ShayariPage