हमीं तक रह गया क़िस्सा हमारा

हमीं तक रह गया क़िस्सा हमारा

किसी ने ख़त नहीं खोला हमारा

मुआफ़ी और इतनी सी ख़ता पर

सज़ा से काम चल जाता हमारा