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फ़ासला रख कर भी क्या हासिल हुआ

फ़ासला रख कर भी क्या हासिल हुआ

आज भी उसका ही कहलाता हूँ मैं

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फ़ासला रख कर भी क्या हासिल हुआ — Shariq Kaifi • ShayariPage