तन से जब तक साँस का रिश्ता रहेगा

तन से जब तक साँस का रिश्ता रहेगा

मेरे अश्कों में तिरा हिस्सा रहेगा

दूर तक कोई शनासा हो नहीं हो

भीड़ में अच्छा मगर लगता रहेगा

ऐसे छुटकारा नहीं देना है उस को

मैं अगर मर जाऊँ तो कैसा रहेगा

तय तो है अलगाव बस ये सोचना है

कौन सी रुत में ये दुख अच्छा रहेगा

ख़ुद से मेरी सुल्ह मुमकिन ही नहीं है

जब तलक इस घर में आईना रहेगा

यूँ तो अब बिस्तर है और बीमार लेकिन

साँस लेने में मज़ा आता रहेगा

मैं ने कितने दिन किसी को याद रक्खा

वो भी क्यूँ मेरे लिए रोता रहेगा