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GHAZAL

रोना-धोना सिर्फ़ दिखावा होता है

रोना-धोना सिर्फ़ दिखावा होता है

कौन मिरे जाने से तन्हा होता है

उसकी टीस नहीं जाती है सारी उमर

पहला धोका पहला धोका होता है

नाम भी उसका याद नहीं रख पाते हम

गलियां गलियां जिसेपुकारा होता है

सारी बातें याद हमें आ जाती है

लेकिन जब वो उठने वाला होता है

मर जाता है तन्ज़ भरे इक जुमले से

कोई-कोई तो इतना ज़िन्दा होता है

आंसू भी हम खर्च वहीं पर करते हैं

जहां कोई दिल रखने वाला होता है

बेमतलब की भीड़ लगाने वालों से

जाने वाला और अकेला होता है

घर में इसे महसूस करो या सहरा में

सन्नाटा तो बस सन्नाटा होता है

अच्छे चेहरे अच्छे चेहरे होते हैं

उन में भी इक अपना वाला होता है

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रोना-धोना सिर्फ़ दिखावा होता है — Shariq Kaifi • ShayariPage