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GHAZAL

कुछ एक तरफ़ ध्यान ज़ियादा है किसी का

कुछ एक तरफ़ ध्यान ज़ियादा है किसी का

लगता है कि दिल टूटने वाला है किसी का

पहले भी हुआ इश्क़ कई बार तो क्या है

बस याद ये रखना कि ये पहला है किसी का

इक वक़्त था यारों में घिरे रहते थे हर दम

अब बोलना अच्छा नहीं लगता है किसी का

उठते हुए बिस्तर से बहुत डर ने लगा हूँ

हर काम मेरा काम बढ़ाता है किसी का

कल दूसरा रूठा था कोई ऐसी ख़ता पर

अब तेरी जगह नाम पुकारा है किसी का

इक और भी 'शारिक़' अभी करना है हमें जुर्म

अब अपनी जगह नाम भी लेना है किसी का

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कुछ एक तरफ़ ध्यान ज़ियादा है किसी का — Shariq Kaifi • ShayariPage