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परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है

परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है

ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है

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परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है — Shakeel Azmi • ShayariPage