वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन Sahir Ludhianvi@sahir-ludhianviवो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा