SHER•11/5/2020वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिनBy Sahir LudhianviLikeShareReportHindiEnglishवो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा